all indian Institutions and their Motto in Sanskrit

 

all indian Institutions and their Motto in Sanskrit  

आप जब भी  भारत सरकार  की केन्द्रीय संस्था या संगठन के बारे पढ़ते हे

 तो उनका Motto यानी  ध्येयवाक्य देखा होगा  दरसल ये वक्या हमारे

 प्राचीन ग्रंथो से लिए गए हे  इस लेख मे हम भारत की विभिन्न संस्था और 

उनके संस्कृत ध्येय -वाक्य ओर कुश प्रसलित ध्ये-वाक्य का हिन्दी मे अर्थ बताएँगे

जो संस्कृत भाषा मे लिखे होते हेसंस्कृत भाषा विश्व की सबसे पाचीन भाषा हे ओर 

संस्कृत भाषा का मूल भारत हेधेय वाक्य का अर्थ होता हे की वो किसी संस्था या समूह 

के लक्ष्य को संक्षिप्त में दिखता हे संस्कृत के एक ही ध्येयवाक्य से हम उस संस्था  ओर 

उसके  लक्ष्य के बारे  में जान सकते हे भारत सरकार   की ज्यादातर संथाओ के धेय वाक्य 

संस्कृत से ही लिए गए हे

भारतीय सविंधान से जुड़े तथ्य के बारे हिन्दी में जानने के लिये यहाँ क्लिक करे   


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List of Indian Institutions and their Motto in Sanskrit 

Noसंस्था

ध्येय-वाक्य

हिन्दी मे अर्थ
1.सर्वोच्च
न्यायालय
यतो धर्मस्ततो जयः        जहाँ धर्म है वहाँ जीत है 
2भारत सरकारसत्यमेव जयते सत्य की ही जय होती है  
3. Indian
Army
सेवा परमो धर्म हमारे जीवन में सेवा करना
एक बहुत ही बड़ा धर्म होता है
4.Indian 
AIR FORCE
नभः स्पृशं दीप्तम्  आकाश  को  छुओ 
5.Indian NAVYशं नो वरुणः         जल के देवता वरुण हमारे लिए
मंगलकारी रहें
6.RAWधर्मो रक्षति रक्षितःधर्म की रक्षा करने वाले की  
रक्षा  धर्म करता है 
7.INCOME TAXकोष मूलो दण्ड धन मूल शक्ति है 
8.INDIA
TOURIST
अतिथिदेवो भवमहेमान भगवान समान होते है 
9.DRDOबालस्य मूलं विज्ञानम् विज्ञान  शक्ति का आधार है
10.लोक सभाधर्मचक्र प्रवर्तनायधर्मचक्र के आगे ले जाने  के लिए
11.LICयोगक्षेमं वहाम्यहम्मैं योग-क्षेम का वहन करता हूँ
12.भारतीय शिक्षा संस्थान

सा विद्या या विमुक्तये

विद्या वह है जो विमुक्त करे

13.LOKPALमा गृधः कस्यस्विद्धनम्  दूसरों के धन के प्रति लोभ
 मत करो



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विज्ञान दीपेन संसार भयं निवर्तते  - विज्ञानं के दीप से संसार का भय भाग जाता है

विद्या परमं बलमविद्या सबसे महत्वपूर्ण ताकत है

सुखस्य मूलं धर्मधर्म ही सुख देने वाला है

लोभ प्रज्ञानमाहन्ति - लोभ विवेक का नाश करता है

सेवा अस्माकं धर्मः-  सेवा हमारा धर्म है

योगः कर्मसु कौशलं - कर्मों में कौशल ही योग है।

जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी - माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है

विद्या परमं बलम  - विद्या में सबसे अधिक ताकत है

 सहायः समसुखदुःखः - सच्चा साथी वही हे जो सुख और दुःख दोनों में बराबर साथ देता हो 

 आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम् - विकट परिस्थिति में भी जो हमारे साथ हो वही सच्चा मित्र है

 अर्थेषणा व्यसनेषु गण्यते - घन की ईरचा रखने में कोई बुराई नहीं होती

  सुखाल्लभ्यते सुखम् - सुख से सुख की प्राप्ति नहीं होती

 ये शोकमनुवर्त्तन्ते तेषां विद्यते सुखम् - शोक में उलझा हुआ व्यक्ति कभी खुश नहीं हो सकता

 यस्य बुद्धिर्बलं तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् - ताकतवर वही है,जिसके पास बुद्धि ओर बल दोनों है

 ►अतितृष्णा कर्तव्या, तृष्णां नैव परित्यजेत् - कोई चीज का लोभ होना स्वाभाविक है, परन्तु व्यक्ति का अतिशय लोभी होना विनाश की ओर ले जाता हे

 अनागतं यः कुरुते शोभते - भविष्य में आनेवाली विपत को देखकर अपना आयोजन निर्धारित करने वाला व्यक्ति सुखी रहता है

 स्वजनं तर्पयित्वा यः शेषभोजी सोऽमृतभोजी - अपनी क्षमता के अनुसार ही कार्य का आरंभ करना चाहिये

 ►को लोकमाराधयितुं समर्थः - सभी लोगो को कोई खुश नहीं  कर सकता है

 ►विद्या योगेन रक्ष्यते - विद्या का रक्षण अभ्यासके द्वारा ही हो सकता हे

 ►बलवन्तो हि अनियमाः नियमा दुर्बलीयसाम्  - सत्ताधीश व्यक्ति के लिये कोई नियम नहीं होते, नियम तो दुर्बल व्यक्ति  के लिये होते हैं

लोभः प्रज्ञानमाहन्ति - लोभ विवेक का नाश कर देता  है

अन्तो नास्ति पिपासायाः - तृष्णा का कभी अन्त नहीं होता है

बह्वाश्र्चर्या हि मेदनी  - हमारी पृथ्वी अनेक रहष्य से भरी हुई है

अनर्थाः संघचारिणः - मुश्किलें हमेंशा एक  ही साथ में आती है

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■ Indian Institute of Technology Roorkee  - श्रमम् विना न किमपि साध्यम्
श्रम के बिना कोई उपलब्धि हासिल नहीं होती 
■ Jawahar Navoday Vidyalay - प्रज्ञानम ब्रह्म
उच्च  ज्ञान ही ब्रह्म (भगवान) है
■ National Council of Educational Research and Training - विद्ययाऽमृतमश्नुते
विद्या से अमृत की प्राप्ति होती है
■ central board of secondary education - असतो मा सद्गमय
असत्य से मुझे सत्य की तरफ ले चलो
■ UPSC   - योंगः कर्मसु कौशलं
कर्मों में कौशल ही योग है
■ Colombo University - बुद्धिः सर्वत्र भ्राजते
बुद्धि सर्वत्र प्रकाशमान होती है
■ Indian Institute of Technology Bombay Mumbai - ज्ञानम् परमम् ध्येयम्
ज्ञानप्राप्ति ही हमारा परम ध्येय हे
■ Indian Institute of Technology Goa - विद्या विनयेन दीप्यते
विद्या विनय से ही सुशोभित हे
■ Banaras Hindu University - विद्यया अमृतमश्नुते
विद्या से व्यक्ति अमरत्व प्राप्त कर सकता हे 

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Consulation

इस आर्टिकल में महत्वपूर्ण संस्कृत धेय वाक्य ओर उनके हिन्दी अर्थ के बारे में जानकारी दी गई हे अगर संस्कृत धेय वाक्य से जुड़ा कोई सवाल हे तो कमेन्ट में लिखिये 

FAQ:

Q-भारत का ध्येय वाक्य क्या है?
Ans-सत्यमेव जयते भारत का ध्येय वाक्य है
Q-दूरदर्शन का ध्येय वाक्य क्या है?
Ans-दूरदर्शन का ध्येय वाक्य सत्यम शिवम सुंदरम है
Q-क्या सभी सन्थाओ का ध्येय वाक्य होना अनिवार्य हे? 
Ans-सभी सन्थाओ का ध्येय वाक्य होना अनिवार्य नहीं हे 
Q-क्या सभी सन्थाओ के ध्येय वाक्य संस्कृत में ही लिखे होते हे ?
Ans-ध्येय वाक्य संस्कृत में ही लिखे ऐसा जरुरी नहीं हे प्रादेशिक भाषा में भी हो सकता हे 


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